Saturday, September 11, 2010

'फोटोग्राफर की चालाकी'

  • बाल कहानी- मनोज कुमार
एक फोटोग्राफर था. वह हमेशा अपने गले में एक कैमरा लटकाए रहता था. उसे जंगलों में घूमने का बहुत शौक था. अकेले ही वह घने जंगलों एवं पहाड़ियों में जाकर घूमता रहता और वंहा के प्राकृतिक दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करता फिरता. ऐसे ही वह एक समय किसी जंगल से होकर गुजर रहा था.
सहसा वातावरण में जोर की एक दहाड़ गूंजी. फोटोग्राफर अपनी जगह पर ठिठक गया. उसने अपने आस-पास देखा. तभी एक पेड़ की ओट से एक बाघ निकलकर उसके सामने आ गया. इसने कहा- "ऐ फोटोग्राफर, आज मैं बहुत भूखा हूँ. तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा."
बाघ की यह बात सुनकर फोटोग्राफर डर गया. वह सोचने लगा कि कैसे अब अपने प्राणों कि रक्षा कि जाये? यहाँ उसके जीवन-मरण का सवाल आ खरा हुआ था. वैसे कठिन पल में भी उसने अपनी हिम्मत नहीं हारी और बुद्धि से काम लेने कि सोची.
अगले ही पल उसने संभल कर कहा- "हे बाघ महाराज! ऐसे तो आप मुझे खाकर बड़े घाटे में रहोगे."
"वह कैसे?" बाघ ने आँखे तरेरते हुए पूछा.
फोटोग्राफर के दिमाग में चटपट एक योजना आ चुकी थी. उसने आव देखा न ताव, अपना कैमरा सीधा किया और बाघ कि कई तस्वीरें खिंच डाली.
फिर उसने कहा-"वह ऐसे कि तुम मुझको अगर खा लोगे तो तुम्हें जानने वाला इस दुनियां में कोई न होगा. अगर तुम मुझे छोड़ दो तो मैं तुम्हारी तस्वीरें सरे लोगो को दिखाऊंगा. उन्हें अख़बारों और पत्रिकाओं में छपवाऊंगा. इन्टरनेट पर लोड कर दूंगा. ऑरकुट, चिरकुट, फेशबुक, ट्विटर सभी वेब साईट पर ऑनलाइन कर दूंगा. इस तरह तुम फ़ौरन हिट हो जाओगे और हर कोई तुम्हें जान जायेगा. फिर तो तुम हीरो बन जाओगे और सारी दुनिया में सिर्फ तुम्हारे ही चर्चे होंगे."
"क्या सच?" उसकी बातें सुनकर अचानक बाघ कि आँखे चमक उठी-"तुम मेरी तस्वीरे अख़बारों में छपवाओगे? मुझे ऑनलाइन कर दोगे?"
"हाँ." फोटोग्राफर ने तपाक से जवाब दिया- "बिलकुल."
"फिर ठीक है." बाघ ने खुश होकर कहा-"मैं अब दूसरा शिकार कर लूँगा. तुम जा सकते हो. लेकिन मेरी तस्वीरों को ऑनलाइन करना जरूर."
"वह तो करूंगा ही." इतना कहकर फोटोग्राफर ने अपना कैमरा संभाला और सर पर पांव रखकर वहां से भाग खड़ा हुआ.
प्रकाशित- आर्यावर्त, लोकमत समाचार, रांची एक्सप्रेस, बाल कल्पना कुञ्ज, दैनिक शेरे हरियाणा, तरंग भारती, मीडिया केअर नेटवर्क द्वारा प्रसारित.