Sunday, January 30, 2011

कार्टून- क्या यही गाँधी के सपनों का भारत है?


Saturday, January 15, 2011

कार्टून : मकर संक्रांति धमाल


आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!
इस अवसर पर कुछ भोजपुरिया कार्टून का आनंद उठाएं.
ये कार्टून भोजपुरी भाषा के उत्थान व प्रचार प्रसार हेतु क्रियाशील  जय भोजपुरी डाट काम  के प्रोत्साहन से बनाये गए हैं.










Sunday, January 9, 2011

का वर्षा जब कृषि सुखाने?

आजकल मौसम का मिजाज सर्द से सर्द होता जा रहा है. समाचारों में ठण्ड के कहर से कई जगह मौत होने की भी खबरे आ रही है. वास्तव में यह सब काफी दुखद है. गरीबों और बेघरों के लिए मौसम की यह मार सहना अत्यंत मुश्किल है. ऐसे मुसीबतजदा लोगों के लिए एक प्रशासनिक पहल होनी चाहिए, जिससे उनके लिए कम्बल, अलाव इत्यादि की ससमय इंतजामात हो सके. अपने यहाँ एक दुखद पहलू यह भी  है की ऐसे सरकारी प्रयास होते तो हैं, लेकिन जमीन पर उतरते हैं समय बीत जाने के बाद. ऐसे में तो यही कहा जा सकता है की 'का वर्षा जब कृषि सुखाने?'
अतः जो भी पहल हो, वह सही वक्त पर सही लोगों के पास पहुँचने चाहिए.




Friday, January 7, 2011

ये ठंड कुछ कहती है

नए साल का आगाज होते ही सर्द हवाओं ने मानों झूमकर इसका स्वागत किया. ठंड इतनी ज्यादा बढ़ी कि आम-जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. स्कूलों में छुट्टियाँ घोषित हो गई. फुर्सत में बैठे-बैठे  ख्याल आया कि अपनी  शॉर्ट फिल्म "नचिकेता" के बाकि हिस्से कि शूटिंग मौसम अनुकूल होने पर ही हो सकेगी. चलो, इस बीच कुछ और रचनात्मक हो जाये.
सो, पेन-पेपर लेकर कुछ कार्टून बनाने बैठ गया. दिमाग में आया कि ठंड पर ही कुछ बनाया जाये. इस क्षेत्र में मेरी रूचि तो है, लेकिन पेशेवर नहीं हूँ. बस, शौकिया तौर पर बनाता  हूँ और सीखने का प्रयास करता हूँ. देखिये , ये ठंड क्या कहती है?



Wednesday, January 5, 2011

नचिकेता- नए साल में नया प्रोजेक्ट


 हमारे यहाँ हिंदी की पाठ्यपुस्तक में एक पाठ पढाई जाती है- नचिकेता. यह वर्ग आठ के पाठ्यक्रम में है. हमने भी अपने स्कूली दिनों में यह पाठ पढ़ा  था. मैंने इंटरनेट पर सर्च किया की कहीं इस पर बना हुआ कोई नाटक/फिल्म/विडियो इत्यादि मिल जाये तो पढ़ाने हेतु एक अतिरिक्त सहायक सामग्री मिल जाएगी. वैसे भी आजकल शिक्षा जगत में विविध दृश्य श्रव्य माध्यमों  / एनीमेशन इत्यादि के महत्व को देखते हुए इन साधनों का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है. मगर यह  सब शहरी क्षेत्र के बच्चों को जितनी सहजता और सुगमता से उपलब्ध है, ग्रामीण परिवेश के खास कर सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चों के लिए दुर्लभ ही है. 
इंटरनेट पर मुझे कुछ चित्र मिले. कठोपनिषद से ली हुई इस कहानी पर काफी व्याख्यान मिला. इससे कहानी को समझने में और मदद मिली. लेकिन मै फिल्म जैसा जो ढूँढना चाह रहा था, वह नहीं मिला. अलबत्ता संस्कृत में यम नचिकेता संवाद का रामलीला जैसा मन्चित किया हुआ एक छोटा सा विडिओ क्लिपिंग मिला. इन्ही सामग्री की सहायता से बच्चों के बीच पाठ को रखने  का प्रयास किया. यह बात जाहिर है की पाठ्य-पुस्तक के अलावा कोई नयी और अतिरिक्त रोचक सामग्री देखकर बच्चों का उत्साह दूना हो जाता है. मैंने बच्चों  में कहानी के प्रति एक उत्साह देखा. चर्चा हुई तो इस कहानी पर नाटक खेलने का फैसला किया गया. मुझे लगा की इस पर एक लघु फिल्म बनायीं जा सकती है. अगर इस पर काम किया जाये तो बच्चों के लिए एक स्थायी पठन सामग्री हो जाएगी सो अलग. जो बार-बार काम भी आएगी. इस आइडिया को शेयर करने भर की देरी थी की सब तैयार हो गए. अन्य शिक्षकों ने भी इस विचार को समर्थन दिया.  
नचिकेता की भूमिका में सत्यम कुमार
वाजश्रवा एवं नचिकेता संवाद 
बस इसके बाद काम शुरू हो गया. स्कूल के छात्र ही  कहानी के विभिन्न पात्र  बन गए. स्थानीय दुकान से वेश- भूषा हेतु कुछ सामग्री खरीदी गयी. सीमित  साधनों के बीच खाली समय में शूटिंग का शुभारम्भ किया गया.  दीप जलाकर इसका उद्घाटन करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉक्टर रामप्रताप सिंह (जब मैं इस विद्यालय में चौथी कक्षा का छात्र था, ये हमारे सबसे प्रिय वर्ग शिक्षक हुआ करते थे. एक बार इनके हस्ताक्षर के  नक़ल के जुर्म में मैं इनके हाथों पीट भी चूका हूँ.) ने अपने उद्बोधन में कहा-"हम अपने कोर्स की किताबों में जो चीज पढ़ते हैं, वह उतनी रुचिकर नहीं लगती. लेकिन जब उसे ही टीवी या फिल्म जैसे अन्य माध्यमों के द्वारा देखते हैं तो ज्यादा मनोरंजक लगती है. नचिकेता कहानी का फिल्मांकन विद्यालय स्तर पर किया जा रहा है. देखते हैं इसमें कितनी सफलता मिलती है."  


यमराज की भूमिका में रौनक कुमार


नचिकेता और यमराज 
शूटिंग के दौरान हंसी-ठिठोली 
मनोज कुमार 
दंनिक जागरण में प्रकाशित एक खबर 

Monday, January 3, 2011

नववर्ष में वाल्मीकि नगर की सैर

नववर्ष के आते ही उत्तर बिहार का कश्मीर कहे जाने वाले  प्राकृतिक छटा से भरपूर वाल्मीकि नगर में सैलानियों की आदम रफ्त बढ़ जाती है। नये परिसीमन के बाद देश की नंबर एक लोकसभा क्षेत्र व राज्य की नंबर एक विधानसभा क्षेत्र घोषित होने के बाद से इसे एक विशेष पहचान मिली। वैसे यह क्षेत्र अपने राष्ट्रीय व्याघ्र परियोजना एवं प्राकृतिक सुन्दरता के कारण पहले से ही जाना-पहचाना जाता था। जिला मुख्यालय बेतिया से 110 किलोमीटर और प्रखण्ड मुख्यालय बगहा से लगभग 40 किलोमीटर दूर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित यह कस्बाई इलाका पूर्व में `भैंसालोटन´ के नाम से जाना जाता था। यहां से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का प्रसिद्ध आश्रम है, जो नेपाल के चितवन में पड़ता है। यहां आने वाले सैलानी वहां जाना नहीं भूलते। माना जाता है कि राम ने जब सीता का परित्याग किया तो वे यहीं महर्षि  के आश्रम में शरण ली थी और लव-कुश को जन्म दिया था। महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि होने के कारण ही इस क्षेत्र को वाल्मीकि नगर के नाम से जाना जाने लगा।
सूर्यास्त का एक नजारा
यहां कई ऐतिहासिक मन्दिर भी हैं- जिनमें प्रमुख है कॉलेश्वर मन्दिर, जटाशंकर मन्दिर, नरदेवी मन्दिर इत्यादि। विशिष्ट अवसरों पर वहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा जुटता है।
1962 में देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने यहां आकर गण्डक फाटक बांध की नींव रखी थी। वह पुल भारत और नेपाल की सीमा को आपस में जोड़ता है। दोनों देश के निवासी इस रास्तें बेरोक टोक आते-जाते हैं। अलबत्ता अब यहां एस.एस.बी. की तैनाती कर दी गई है जो लाने-ले जाने वाले सामानों की चौकसी करती है। पूल के उस पार से नेपाल की राजधानी काठमाण्डू के लिए सीधी बसें चलती है।
वनभोज के लिए आये सैलानी
प्रतिवर्ष पहली जनवरी को सीमावर्ती नेपाल, उत्तर प्रदेश एवं बिहार के पर्यटक भारी संख्या में यहां आते है और पिकनिक का मजा लेते हैं। इधर कुछ  वर्षों से वन विभाग के निषेध के कारण जंगल में पिकनिक मनाने पर रोक लग चुकी है। फिर भी आने वाले सैलानियों के हौसलं बुलंद रहते हैं और वे गण्डक नदी के किनारे पर्वत द्वीप के निकट वनभोज का मजा लेते हैं और नाच-गाना करते हैं।
नववर्ष की मस्ती में थिरकते युवा


वाल्मीकि आश्रम 
 



जटाशंकर मंदिर
 

कालेश्वर  मंदिर
 

नरदेवी मंदिर
 
विकास की दृष्टि से देखा जाये तो यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। यहां बुनियादों सुविधाओं का घोर अभाव है। पर्यटन के विकास की यहां असीम संभावनाएं है। लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण कोई विशेष प्रयास नहीं होता। खूबसूरत प्राकृतिक वादियों के कारण फिल्मकार यहां आकर्षित होते हैं लेकिन असुविधाओं के कारण ज्यादा समय तक टिक नहीं पाते। भोजपूरी फिल्मों एवं अल्बमों की शूटिंग यहां प्राय: होती रहती है। उन्हें बढ़ावा देने हेतु यहां सुविधाएं बढ़ाने की दरकार है। कुछ समय पूर्व एक थ्री स्टार होटल का निमार्ण कार्य शुरू होने की बात चली थी, लेकिन सिर्फ बाउण्ड्री ही बन सकी। उससे आगे का काम ठण्डे बस्ते में चला गया। विकास के नाम पर इधर कोई काम हो सका है तो वह है सड़क निर्माण। बगहा से वाल्मीकि नगर की 40 किलोमीटर की दूरी पहले खराब सड़क के कारण जहां 3 से 4 घंटे में पूरी होती थी, वह सड़क अब लगभग 80 फीसदी बन जाने के कारण एक से डेढ़ घंटे में पूरी हो जाती है। कहा जा सकता है कि इसका श्रेय राज्य की वर्तमान सरकार को जाता है लेकिन यहां क्षेत्र के विकास हेतु अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकि है। तभी यहां की प्राकृतिक छटा में वास्तविक हरियाली आयेगी।

Saturday, January 1, 2011

नववर्ष की शुभकामनायें


फिर से एक नया साल हम सबके जीवन में आ चुका है. हम इसका तहेदिल से स्वागत करें और कुछ नया और बेहतर करने का प्रयास करें जिससे अपने जीवन के साथ-साथ औरों के जीवन में भी खुशिया आयें. 
पहली जनवरी हम सब के लिए खास मायने रखता है. खास इसलिए भी कि हम इस दिन को अच्छे से सेलिब्रेट करना चाहते है. अपने रिश्तेदारों, मित्रों और शुभचिंतकों के साथ बधाई संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं. यह सब खासा दिलचस्प होता है. 
बचपन के दिनों को याद करता हूँ तो वे स्कूल के दिन याद आते हैं जब नए साल के उपलक्ष्य में हम कुछ दोस्त मिलकर पिकनिक का प्रोग्राम बनाते थे. वह काफी मजेदार होता था. मेरा ज्यादातर समय ग्रीटिंग्स कार्ड बनाने में ही बितता था. मैं विशेषकर कार्टून चित्र वाले ग्रीटिंग्स बनता था, जिसकी फरमाईश मेरे दोस्त लोग अक्सर एडवांस में ही कर दिया करते थे. मुझे यह सब करना बहुत भाता था. 
एक बार कि बात थी. मेरे एक दोस्त को किसी ने नए साल कि बधाई दी. दोस्त जरा मजाकिया स्वभाव का था. उसने अपने ओढ़े हुए शाल  की और इशारा करते हुए मजाक में कहा कि मेरा ये शाल नया नहीं  बल्कि दो साल पुराना है. इस पर सबको काफी हंसी आई. 
बाद में मैंने इसी बात को लेकर नए साल का कार्टून-ग्रीटिंग्स बनाकर दोस्तों को भेजा. यह उस समय पटना से छपने वाले दैनिक आर्यावर्त में भी प्रकाशित हुआ था. उसे यहाँ अटैच कर रहा हूँ.
 आप सब को भी नववर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां!