Tuesday, September 14, 2010

हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ

सबसे पहले तो आप सबको हिंदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! कम-से-कम अपने देश में एक दिन तो ऐसा है जहाँ अंग्रेजी के पक्षधर लोग भी हिंदी के समर्थन में एक पंक्ति में खड़े दिखते है. १४ सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने की परंपरा का निर्वाह करते हुए छः दशक गुजर चुके है, मगर राष्ट्रभाषा होते हुए भी अपने ही देश में, अपने ही घर में, अपने ही लोगों क्र बीच उसे वह हक़ और सम्मान नहीं मिला-जिसकी वह हक़दार है. भला हो बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे हिन्दीभाषी कुछ राज्यों का - जहाँ भाषाई रूप में यह शीर्ष पर विराजमान है, अन्यथा कई राज्यों में तो यह हाशिये पर खड़ी दिखती है.
ऐसा नहीं है की देश में हिंदी में काम नहीं होता, होता है- मगर आम लोगों की बात छोड़ दें तो ऊँचे तबके और प्रशासनिक महकमे में इसकी उपस्थिति कम से कमतर होती जाती है. हिंदी दिवस के अवसर पर वहां बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती है, मगर केवल औपचारिकता वश. सच पूछा जाये तो हिंदी के असली पैरोकार तो यहाँ की आम जनता है. साधारण तबके के वे लोग हैं जो किसी दिखावे में नहीं बल्कि सिर्फ अपने काम में विश्वास रखते हैं. हिंदी दिवस क्या है- कब मनाया जाता है? क्यों मनाया जाता है- उसे इससे कोई विशेष लेना-देना नहीं. लेकिन वह हिंदी का असली पुजारी है. भले ही इसे लेकर उस पर पिछड़ेपन का धब्बा लगे- वह हासिये पर खड़ा रह जाये, लेकिन वही हिंदी का पहरुआ बना रहेगा.
हालाँकि स्थिति अब बदल रही है, हिंदी का वर्चस्व बढ़ रहा है.लेकिन इसका श्रेय उन आम लोगो को जाता है, जिन्होंने इस भाषा को महत्व दिया. इसे अपनाया और काम किया. हाँ, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे और विस्तार देने की जरुरत है, जिसमे सब की भागीदारी अपेक्षित है.