Wednesday, September 22, 2010

बिहार की राजनीति और चुनाव की आहट

एक पुरानी कहावत है- "प्यार और जंग में सब जायज है." आज के दौर में यह कहना गलत न होगा की "राजनीति और सत्ता की जंग में सब जायज है."
बिहार में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है. राजनीतिक दल अपनी उठा-पटक में लगे हुए हैं. सभी अपना-अपना समीकरण दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं. एक बार फिर से मतदाताओं का दरबार सज गया है. टिकट न मिलने पर नेता एक पार्टी से कूद कर दूसरी पार्टी में ऐसे छलाँगे लगा रहे हैं जैसे पहली पार्टी में छूत का रोग लगा हो. . इससे पता चल जाता है की वे कितनी निःस्वार्थ राजनीती कर रहे हैं.
कहा जाता है की लोकतंत्र में जैसी जनता वैसी सरकार! ऐसे मतलबी और स्वार्थ की राजनीती से प्रेरित नेताओं को सबक सिखाना जनता का ही काम है. ऐसा तभी संभव है जब अवाम भी जातिगत और क्षेत्रवाद की भावनाओं से ऊपर उठकर निःस्वार्थ भाव से सही-गलत का चिंतन करे और अपने मत का मूल्य समझें. मतलबपरस्त, दागदार, बाहुबली नेता अपने सिवा किसी का क्या भला करेंगे? ऐसे स्वार्थलोलुप लोगों से राज्य की जनता को बचकर ही रहना चाहिए. अन्यथा फिर भगवान ही मालिक है.