Wednesday, November 10, 2010

शिक्षा दिवस - 10 नवंबर

मौलाना अबुल कलाम आजाद जयन्ति के अवसर पर राजधानी पटना में आयोजित शिक्षा दिवस समारोह में यहां के ख्यातिप्राप्त गणितज्ञ श्री आनन्द को सम्मानित किया जाना हर्ष का विषय है। सुपर थर्टी के संस्थापक संचालक  श्री आनन्द जैसे दुर्लभ व्यक्तित्व विरले ही मिलते हैं, जिन्होंने तन-मन-धन से साधनविहीन छात्रों के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया हो। उनकी सुपर थर्टी संस्था आईआईटीयन फैक्ट्री बन चुकी है जो पिछले कुछ वर्षों  से शत-प्रतिशत परिणाम दे रही है।
साधनविहीन मेधावी छात्रों को नि:शुल्क आई.आई.टी. की तैयारी


कहना न होगा कि ऐसे व्यक्तित्व किसी पुरस्कार के मोहताज नहीं होते, अपितु पुरस्कार ऐसे मौकों पर खुद ही पुरस्कृत होता है। श्री आनन्द का यह वक्तव्य कि वे अब पांचवी कक्षा के बाद से ही बच्चों को पढ़ाने का कार्य करना चाहते हैं, निश्चय ही उन गरीब बच्चों के लिए एक शुभ संकेत है जो बचपन में ही मजबूरी में अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं। 

अपने छात्रों के साथ ज्ञानदाता आनंद : सफलता के क्षण

बच्चों के भविष्य निर्माण में शिक्षकों का ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाज में श्री आनन्द जैसे शिक्षक एक मिसाल हैं जिन्होंने आज के अंधे व्यावसायिक युग में नि:स्वार्थ भाव से कार्य कर जाने कितने बूझते चिरागों को न केवल रौशन किया बल्कि उन्हें मुख्यधारा में शामिल कर प्रतिष्ठित भी किया। सचमुच ऐसे व्यक्तित्व वन्दनीय हैं।

मुख्यमन्त्री अक्षर आंचल योजना


शिक्षा दिवस का सम्मान 
नारी के आँचल में अक्षर। 
मां-बेटी दोनों साक्षर।।

पढ़ी-लिखी हर बहना
घर-घर की है गहना ।।

कुछ ऐसे ही नारों के साथ शुरू हुई थी, बिहार में महिला साक्षरता बढ़ाने की एक नई पहल।
राज्य की 15 से 35 आयुवर्ग की 40 लाख असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की साल भर चली महत्वाकांक्षी योजना अक्षर आंचल ने आखिरकार महिलाओं में शिक्षा के प्रति तो एक ललक बढ़ा ही दी। भले ही यह योजना कुछ अच्छी-बुरी समालोचनाओं के साथ विगत 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर समाप्त हो गई हो- मगर इसका असर उन परिवारों में पीढ़ियों तक जाएगा जिनकी महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाकर पढ़ना-लिखना सीख लिया है।

10 नवंबर को शिक्षा दिवस के अवसर पर मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा आयोजित समारोह में इस योजना में समर्पित शिक्षक अक्षरदूतों, साधनसेवियों व कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जाना एक अच्छी पहल है। इससे कर्तव्यपरायण लोगों में एक नये उत्साह का संचार होगा और अन्य लोग भी कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होंगे।  
पश्चिम चंपारण में जिला स्तर पर चयनित
 बेस्ट के आर पी - ओबैदुर्रहमान  
मधुबनी-पिपरासी  के दियारा क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में अक्षर दूत
 एवं नवसाक्षर महिलाओं के साथ के.आर.पी. संजय कुमार