Wednesday, November 10, 2010

मुख्यमन्त्री अक्षर आंचल योजना


शिक्षा दिवस का सम्मान 
नारी के आँचल में अक्षर। 
मां-बेटी दोनों साक्षर।।

पढ़ी-लिखी हर बहना
घर-घर की है गहना ।।

कुछ ऐसे ही नारों के साथ शुरू हुई थी, बिहार में महिला साक्षरता बढ़ाने की एक नई पहल।
राज्य की 15 से 35 आयुवर्ग की 40 लाख असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की साल भर चली महत्वाकांक्षी योजना अक्षर आंचल ने आखिरकार महिलाओं में शिक्षा के प्रति तो एक ललक बढ़ा ही दी। भले ही यह योजना कुछ अच्छी-बुरी समालोचनाओं के साथ विगत 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर समाप्त हो गई हो- मगर इसका असर उन परिवारों में पीढ़ियों तक जाएगा जिनकी महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाकर पढ़ना-लिखना सीख लिया है।

10 नवंबर को शिक्षा दिवस के अवसर पर मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा आयोजित समारोह में इस योजना में समर्पित शिक्षक अक्षरदूतों, साधनसेवियों व कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जाना एक अच्छी पहल है। इससे कर्तव्यपरायण लोगों में एक नये उत्साह का संचार होगा और अन्य लोग भी कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होंगे।  
पश्चिम चंपारण में जिला स्तर पर चयनित
 बेस्ट के आर पी - ओबैदुर्रहमान  
मधुबनी-पिपरासी  के दियारा क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में अक्षर दूत
 एवं नवसाक्षर महिलाओं के साथ के.आर.पी. संजय कुमार 





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