Sunday, October 31, 2010

बिहार की नई तक़दीर


बढ़ता वोट, खामोश नियंता
बिहार विधानसभा चुनाव के चरण दर चरण पूरे होते जा रहे हैं. सबसे अच्छी बात यह सामने आ रही है कि मतदाताओं में खासकर महिला मतदाताओं में मतदान के प्रति एक विशेष जागरूकता दिख रही है. उन्हें धूप में घंटों खड़े होकर मतदान देने से कोई परहेज नहीं हो रहा.

तीसरे चरण में अति पिछड़े दियारा और रेता जैसे क्षेत्रों में भी जहाँ पहले मतदाता हिंसक वारदातों को लेकर बूथ तक आने में भी परहेज करते थे, अब सुरक्षा मिलने पर खुलकर मतदान के लिए सामने आ रहे हैं. इधर हाल के कुछ वर्षों में चुनाव आयोग ने मतदान के लिए सुरक्षा के जो पुख्ता इंतजाम किये हैं, वह निश्चय ही काबिलेतारीफ है. इस सुरक्षा भावना ने आम आदमी के अन्दर के डर को ख़त्म कर दिया है, और वे सही मायने में इस चुनाव में राज्य के निति नियंता बनकर सामने आये हैं. पश्चिम चंपारण के दियारा बहुल क्षेत्रों में 60 प्रतिशत मतदान होना एक उदाहरण है. शहरी वोटरों में अभी भी थोड़ी और जागरूकता की जरुरत है.
पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार बढ़ रहा वोटिंग प्रतिशत और आम मतदाताओं कि ख़ामोशी का राज तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा. तथापि इस बार इतना तय है कि बिहार अपनी तक़दीर की नई इबारत खुद लिखने को पूरी तरह से तैयार है.

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