नए साल का आगाज होते ही सर्द हवाओं ने मानों झूमकर इसका स्वागत किया. ठंड इतनी ज्यादा बढ़ी कि आम-जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. स्कूलों में छुट्टियाँ घोषित हो गई. फुर्सत में बैठे-बैठे ख्याल आया कि अपनी शॉर्ट फिल्म "नचिकेता" के बाकि हिस्से कि शूटिंग मौसम अनुकूल होने पर ही हो सकेगी. चलो, इस बीच कुछ और रचनात्मक हो जाये.
सो, पेन-पेपर लेकर कुछ कार्टून बनाने बैठ गया. दिमाग में आया कि ठंड पर ही कुछ बनाया जाये. इस क्षेत्र में मेरी रूचि तो है, लेकिन पेशेवर नहीं हूँ. बस, शौकिया तौर पर बनाता हूँ और सीखने का प्रयास करता हूँ. देखिये , ये ठंड क्या कहती है?
हा जी, हाथ तो गर्म करने ही पड़ेगे इस ठंड में साहब के ...... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteनये दसक का नया भारत (भाग- १) : कैसे दूर हो बेरोजगारी ?
कही से कुछ तो गर्मी का प्रबध हो। सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपका प्रयास सराहनीय है..बधाई !
ReplyDeleteआदरणीय सुरेश जी, आपके प्यार और समर्थन के लिए आभार एवं धन्यवाद.
ReplyDeleteमनोजजी,
ReplyDeleteआपको कार्टून के विषय में जो भी सहयोग
चाहिए ..हम देंगें..जहां तक हमारी समझ
होगी, हमें तो इस बात की ख़ुशी है की
आप इस कला को आगे ले जाने की सार्थक
पहल कर रहे हैं !