Thursday, September 2, 2010

लेख- E Learning


शिक्षा का बदलता स्वरूप- आदि गुरू से ई-गुरू तक
जैसे-जैसे समय में बदलाव आता गया, शिक्षा के स्वरुप में भी आधारभूत परिवर्तन होता रहा है. एक समय था जब प्राचीन काल में आदि गुरु यथा ऋषि-मुनि अपने आश्रम में छात्रों को शिक्षा प्रदान करते थे. दूर-दूर से छात्र उनके गुरुकुल में आते थे, चाहे वह किसी राजा का पुत्र हो अथवा रंक का, एक साथ गुरु आश्रम में रहकर भिक्षाटन और गुरु की सेवा करते हुए शिक्षा प्राप्त करते थे. गुरु भी सामान रूप से सभी को शिक्षा दिया करते थे. उस समय गुरु का स्थान काफी ऊंचा था. वे हर जगह पूजनीय होते थे. उनका रहन-सहन अति साधारण मुनिवेश हुआ करता था. शिक्षोपरांत शिष्य अपने गुरु को यथासंभव दान-दक्षिणा इत्यादि देकर जीवन क्षेत्र में प्रवेश करते थे. गुरु उन्हें सफल जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते थे.
उस कालखंड में गुरुकुल की यह परंपरा काफी लम्बे समय तक चलती रही.
फिर समय के बदलते चक्र में गुरुकुल का स्थान आधुनिक स्कूल-कालेजों ने ले लिया. नित होते नए तकनिकी आविष्कारों ने लोगों के जीवन स्तर में काफी परिवर्तन लाया. इससे शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा. पढने-लिखने के संसाधनों का अभूतपूर्व विकास हुआ. स्कूल और कालेज जो ज्ञान का केंद्र थे, इन संसाधनों से परिष्कृत होने लगे. भव्य भवन, संपन्न पुस्तकालय, आधुनिक प्रयोगशालाएं, कुशल व समर्पित शिक्षक- ये सब शिक्षा के एक नए केंद्र का स्वरुप गढ़ रहे थे. कुछ केंद्र तो ऐसे निर्मित हुए जो देश-विदेश में काफी प्रतिष्ठित और लोकप्रिय हुए. उनमे प्रवेश पाना काफी गौरव और सम्मान की बात मानी जाती थी. एक तरफ जहाँ नित नए विद्यालय और महाविद्यालय स्थापित हो रहे थे वहीँ दूसरी ओर शिक्षा काफी मंहगी भी होती जा रही थी. सरकारी सस्थानों में तो खैर कोई बात नहीं, किन्तु निजी संस्थानों में पढाई केवल समर्थ लोगों के लिए होकर रह गई.
अच्छे संस्थानों में जहाँ अध्ययन का उपयुक्त वातावरण और संसाधनों की समुचित व्यवस्था थी, वहां सभी के लिए प्रवेश कठिन होता गया. वहां मेधावी छात्र ही प्रवेश पा सकते थे. जनसँख्या के बढ़ते दबाब ने शिक्षा के क्षेत्र में कई नयी चुनौतियाँ पेश की. सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई. ऐसी स्थिति में शिक्षा के स्तर में भी गिरावट आई.
आम पारंपरिक विषयों की पढाई करने वाले छात्रों का भविष्य कोई निश्चित नहीं होता था की वे आगे  चलकर क्या करेंगे? ऐसे में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर वर्तमान शिक्षा प्रणाली को चुनौती देने लगा और यह एक गंभीर समस्या बन गई.
शिक्षा शास्त्रियो और विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया की हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो हमें जीवन में व्यवस्थित होने में मदद करे. अतः शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की दिशा में पहल शुरू हुआ. समय के अनुकूल पाठ्यक्रमों में ऐसे विषय जोरे जाने लगे जो समय की तेज रफ़्तार में भविष्य की उम्मीदों पर खरा उतर सके. तकनिकी, मैनेजमेंट, पब्लिक सेक्टर इत्यादि क्षेत्रों का चहुंमुखी विकास हुआ.



 चित्र : विभिन्न साइट्स से साभार
कहना न होगा की आधुनिक युग में कंप्यूटर और इन्टरनेट की क्रांति ने शिक्षा जगत का पूरा परिदृश्य ही बदल कर रख दिया है. इसने मानव जीवन के हर पहलू को न केवल प्रभावित किया है, बल्कि देखा जाये तो कार्य-व्यापार के भी हर क्षेत्र में अपनी पैठ बना ली है. सारी दुनिया एक छोटे से गावं में सिमट गयी है, जहाँ दूरियां कोई मायने नहीं रखती. एक देश का आदमी दुसरे देश की खबर चुटकियों में ले सकता है. अपने सम्बन्धी या मित्रों से बातें कर सकता है या फिर शॉपिंग का मज़ा ले सकता है. घर बैठे अनेकानेक कार्य करने की सुविधा मिल गई है.
इतना ही नहीं आज के दौर में पढने-लिखने और मनचाही शिक्षा प्राप्त करने की भी सारी सुविधाएँ इस ग्लोबल विलेज में घर बैठे संभव हो गया है. आदि हरु का स्थान अब ई-गुरु ने ले लिया है. आपके पास कोई प्रश्न है, ई-गुरु हाजिर है. अपने मनपसंद कोर्स कहाँ से करे? इंटरनेट गुरु के पास इसका भी जवाब है. जैसे-जैसे तकनीक उन्नत होती जा रही है, सुविधाएँ धीरे-धीरे आम लोगों तक पहुँच रही है. आम लोगों का जुड़ाव ही किसी भी सिस्टम या तंत्र को आगे लेकर जाता है.
मनमाफिक शिक्षा हासिल करने के लिए ई-गुरु अथवा कह सकते है ऑनलाइन पढाई का क्रेज धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. सुविधाएँ सिमित होने के कारण भले ही यह प्रणाली अभी आम पहुँच से कुछ दूर है लेकिन इसकी पहल अपने यहाँ भी हो चुकी है. अब जाने-माने अनेक प्रतिष्ठित संस्थान कई तरह के ऑनलाइन कोर्स चला रहे हैं जहा इन्टरनेट के द्वारा विभिन्न विषयों की पढाई होती है. वहीँ समस्याओं का समाधान भी होता है. इन संस्थानों में इग्नू से लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय और कई निजी शिक्षण संस्थान हैं जिनके शैक्षिक पोर्टल शिक्षार्थियों को अपनी शिक्षा का लाभ पहुंचा रहे हैं. कई ऐसे छात्र हैं जो पढाई करने के लिए दूर-दराज के शहरों में नहीं जा सकते जिसके अनेक कारण हो सकते हैं. उन छात्रों के लिए ऑनलाइन कोर्स एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है.
शिक्षा जगत में ट्यूशन की भी एक परंपरा बनी हुई है जिसका अपना एक खासा बड़ा बाज़ार है. आजकल तो शहरों में ट्यूशन और कोचिंग के नाम पर मानों लूट मची हुई है. उनकी फीस इतनी भारी -भरकम होती है कि एक आम अभिभावक के सुनते ही पसीने छूटने लगते हैं. ऐसे में ई-ट्यूटर एक वरदान बनकर सामने आया है जिसके ऑनलाइन या ऑफलाइन कोर्स अपने देश में खासे सस्ते हैं.
ऑनलाइन क्षेत्र कि हलचल अपने देश में खासकर दूर-दराज के गाँवों और कस्बाई इलाकों में अभी धीरे-धीरे विस्तार प् रही है. इसलिए लोग अभी इसके आदि नहीं हुए हैं. इंटरनेट का उपयोग बहुत हुआ तो कोई रिजल्ट देखने अथवा सूचना पाने या फिर ई-मेल इत्यादि करने के लिए कर लिया जाता है. सच पूछा जाये तो ये एक बानगी भर है, पूरा किस्सा तो अभी बाकि है.
कंप्यूटर का एक छोटा रूप मोबाइल भी है. एक समय था जब मोबाइल आम आदमी की पहुँच से दूर था. अब यह हर आम और खास व्यक्ति कि जेब में मौजूद है. अगर कभी पांच मिनट के लिए भी नेटवर्क चला जाता है तो लोग बेचैन हो उठते है. यही बात अगर कुछ वर्ष पहले कही जाती, तो शायद कोई यकीं नहीं करता कि ऐसा भी हो सकता है. एक तरफ इंटरनेट पर जहाँ नित नए स्कूल और कालेजों का उदय हो रहा है वहीँ मोबाइल भी अब इससे अछूता नहीं रहा है. अब मोबाइल के द्वारा भी शिक्षा देने कि पहल हो रही है. शैक्षिक कंटेंट्स मोबाइल हैण्डसेटों के अनुरूप बनाये जा रहे हैं. हालाँकि कहने-सुनने में यह बात थोड़ी  अजीब-सी जरूर लगती है, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब यह सब हो रहा होगा और हम अपनी आँखों से सब देख रहे होंगे. मोबाइल एक ऐसा बहुपयोगी गैजेट होगा जो हमारे लिए महज बातें करने और मनोरंजन तक ही सिमटा नहीं रहेगा बल्कि बैंक, क्रेडिट कार्ड, सिक्योरिटी सिस्टम इत्यादि के अलावा हर तरह से समर्थ एक गुरु (ट्यूटर) का भी कम करेगा. हाँ इतना तय है कि हमें उसके सही इस्तेमाल के प्रति भी जागरूक रहना होगा अन्यथा बात बिगड़ते भी देर नहीं लगेगी.
टेक्नोलॉजी  के बढ़ते रफ़्तार ने लोगों की सोच को मीलों पीछे छोड़ दिया है. यदि हमें आगे रहना है तो समय के इस बदलते मिजाज को पहचानना होगा और अपने आप को इसके अनुरूप ढालने  के लिए तैयार रहना होगा. 
  • मनोज कुमार
  • published- swatantra warta

2 comments:

  1. bilkul sahi kaha hai aapne. aaj sachmuch shiksha ka bazarikarn ho gaya hai.

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  2. Guru jee Ko lawe ki Sir jee ko batawe

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