Tuesday, September 28, 2010

ये सपना है

बी.बी.सी. लंदन से नई सहस्त्राब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम -
"ये सपना है" में 29 जनवरी 2000 को प्रसारित

"नई सहस्त्राब्दी में मेरा सपना है- एक सुन्दर, स्वस्थ और आतंक रहित समाज के निर्माण की. आज समाज में चारो ओर भय और आतंक का राज कायम है. इससे क्षेत्रीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवीय भावनाएं आहत हुई है. आखिर मानव ही आज अपनी मानवता को भूल गया है और पशुओं की मानिंद निर्विकार और भावशून्य हो गया है. भय और आतंक के इस राज से किसे क्या मिलने वाला है?
आज मनुष्यों में संवेदनहीनता बड़ी हद तक बढ़ गयी है. संवेदनशीलता से दूर-दूर तक उनका कोई नाता नहीं है. मानव में संवेदना का होना काफी जरूरी है. इस संवेदनशीलता के अभाव में मनुष्य अपने रिश्तों, संबंधों व नैतिक विचारों को कभी मजबूत नहीं कर सकता है, उसमे दरारें जरूर डाल सकता है.
मानवीयता की कमी और घोर संवेदनहीनता के कारण मनुष्य का रूप विकृत हो चला है. एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य से डर कर रहना पड़ता है. क्या जीवन इसी का नाम है? डर-डर कर और सहम कर जीना ही क्या वर्तमान में जीवन की गति है? ऐसा न हो, इसलिए हमें अपने विचारों में कोमलता, संवेदनशीलता और मानवीयता के प्रति सम्मान रखना होगा. तभी इस धरती पर एक मनुष्य दुसरे किसी अनजान जगह पर नए लोगों के बीच उल्लास और भयमुक्त होकर रह सकेगा ! "
- मनोज कुमार

1 comment:

  1. सदविचार।
    विचारों में कोमलता, संवेदनशीलता और मानवीयता के प्रति सम्मान कैसे पैदा किया जा सकता है इस हेतु भी विकल्पों की तलाश हमारे लक्ष्यों में शामिल हो, यही कामना है।

    शुक्रिया।

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