Monday, September 27, 2010

हंस का फैसला


  • बाल कहानी - मनोज कुमा
नदी के किनारे एक गांव था. गांव के बीच एक छोटा सा बरगद का पेड़ था. उस पेड़ पर चिड़िया का एक जोड़ा घोंसला बना कर रहता था. उस जोड़े का जीवन बड़ा शांतिपूर्वक व्यतीत हो रहा था. तभी एक कौआ उस पेड़ पर आया और चिड़िया के उस जोड़े से कहने लगा-"यह पेड़ हमारा है. तुमलोग इसे छोड़कर चले जाओ."
उस जोड़े ने कहा-"कैसे यह पेड़ तुम्हारा है? हम तो कई वर्षों से यहाँ रह रहे हैं."
"लेकिन अब मेरा है." कौआ बोला.
दोनों के बीच तकरार बढ़ गई. अंत में यह तय हुआ की चलो, हंस राजा के पास चलते हैं. वही इस बात का फैसला करंगे. चिड़िया और कौआ दोनों हंस के पास चले.
उनकी बात सुनकर हंस सोच में पड़ गया. चिड़िया के जोड़े ने उससे कहा-"हम कई सालों से यहाँ रह रहे हैं. मगर यह हमें कभी नहीं दिखा. यह बेवजह हमें सताने के लिए यहाँ आ गया है."
"यह पेड़ हमारे बुजूर्गों का था." कौआ अक्खड़ स्वर में बोला- "मैं कुछ समय के लिए बाहर चला गया, इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम उस पर कब्ज़ा कर लो. मैं अब आ गया हूँ. इसलिए तुम्हें वह पेड़ छोडनी पड़ेगी."
कौए की मक्कारी भरी बातों को सुनकर हंस सबकुछ समझ गया. वह सोचने लगा-"यह दुष्ट कौआ बेवजह इन निर्दोष जोड़ों को तंग कर रहा है. वह सीधे कोई बात नहीं मानेगा. इसलिए इसके साथ कूटनीति से काम लेनी चाहिए." यह सोचकर उसने कौए को उस पेड़ पर रहने की अनुमति दे दी. और उस जोड़े से कहा कि वह अगले दिन आकर उससे मिले.
हंस जिस तालाब में रहता था, उसमे उसका एक नाग मित्र भी रहता था. उसका एक अन्य मित्र एक गिध्द भी था. उसने इस मामले में उन दोनों कि मदद लेने की सोची.
उस रात जब कौआ बरगद की एक डाल पर ऊँघ रहा था तभी उसके कानों में यह आवाज पड़ी-"नागराज, मैं बहुत बीमार हूँ. मुझे बैद्यराज गरुड़ ने कहा है कि अगर मैं कौए का मांस खा लूं तो मेरी बीमारी ठीक हो सकती है."
इतना सुनना था कि कौआ चौकन्ना हो गया. उसने देखा, बरगद कि ऊपरी डाल पर एक गिध्द बैठा हुआ है. उसके ठीक सामने कि डाल पर एक काला नाग लिपटा हुआ था. उसने कहा-"गिध्दराज, आज रात ही एक कौआ इस बरगद पर रहने के लिए आया है. मैं उसे डंस लूँगा तो वह मर जायेगा. फिर तुम उसे खाकर अपनी बीमारी दूर कर सकते हो."
इतंना सुनना था कि बरगद कि डाल पर बैठे कौए के होश उड़ गए. उसने सोच-"ओह! यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है." और अगले ही पल अँधेरे में उसने अपने पंख फड़फड़ाए  और किसी अनजान दिशा कि और उड़ गया.
अगले दिन जब चिड़ियों का जोड़ा हंस से मिला तो उसने बताया कि किस प्रकार उसने अपने नाग और गिध्द मित्र की मदद से एक अनोखी योजना बनाकर कौए को हमेशा के लिए वहां से भगा दिया है. उस जोड़े ने हंस को धन्यवाद् दिया और फिर से बरगद पर आकर ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे.
प्रकाशित- पंजाब केसरी, आर्यावर्त, कान्ति, तरंग भारती, दै. शेरे हरियाणा, मीडिया एंटरटेनमेंट फीचर्स

4 comments:

  1. बहुत अच्छी बाल कहानी|

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  3. Keep on working, great job!

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