Sunday, October 3, 2010

चंपारण के गाँधी- पं. प्रजापति मिश्र

११२ वीं जयंती पर विशेष
सर्वविदित है कि गाँधी जी ने अपना सत्याग्रह आन्दोलन चंपारण की धरती से शुरू किया था. उन्हें यहाँ बुलाने का श्रेय राजकुमार शुक्ल को जाता है जिन्होनें अपने दो अन्य साथियों शेख गुलाब एवं शीतल राय के साथ लखनऊ जाकर कांग्रेस के 31 वें अधिवेशन में उन्हें यहाँ आने का आमंत्रण दिया था. अप्रैल 1917 में गाँधी जी चंपारण आये और यहाँ नीलहे किसानों की दुर्दशा देखी. और यही चंपारण सत्याग्रह की बुनियाद बना.
यहाँ उनकी कार्य योजनाओं को जमीनी रूप देने में बहुत सारे स्थानीय नेताओं का हाथ है. जिनमे एक प्रमुख थे- पं. प्रजापति मिश्र.
 चंपारण के गाँधी- पं. प्रजापति मिश्र
इसे एक संयोग ही माना जायेगा की  2 अक्तूबर को जिस दिन देश के दो महान नेताओं महात्मा गाँधी एवं लालबहादुर शास्त्री का जन्म हुआ, ठीक इसी तारीख को  1898 में चनपटिया (आज के पश्चिम चंपारण का एक प्रखंड) के गांव रानीपुर में प्रजापति मिश्र का भी जन्म हुआ.
गाँधी जी जब चंपारण आये तब ये 19 वर्ष के युवा थे. गाँधी जी के विचारों से ये बेहद प्रभावित थे.
1920 में जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो ये पटना के बी.एन.कालेज में पढाई कर रहे थे. इन्होनें अपनी बी.ए. अंतिम वर्ष की परीक्षा छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े. अपने स्तर से इन्होने कई ग्रामसभाएं गठित की. 1923  ई. में उन्हें बेतिया नगरपालिका का उपसभापति चुना गया. 1928 की एक घटना थी. गाँधी जी के अस्पृश्यता निवारण कार्यक्रम में भाग लेने तथा दलितों के साथ भोजन करने के कारण ससुराल में उनका बहिस्कार तक कर दिया गया. लेकिन उन्होंने इसकी जरा भी परवाह नहीं की. वे जिस रह पर चल पड़े थे, उसमे कोई भी विध्न-बाधा उन्हें अपने इरादों से डिगा नहीं सकती थी. विभिन्न आंदोलनों में संलिप्त होने के कारण कई बार उन्होंने लाठियां खाई और गिरफ्तार हुए.
गाँधी जी देश को आर्थिक आधार एवं स्वावलंबन प्रदान करने के लिए कई तरह के ग्रामोद्योग कार्यक्रम एवं शिक्षा के लिए बुनियादी विद्यालय स्थापित करना चाहते थे. प्रजापति मिश्र ने इस कार्य हेतु कुमारबाग के निकट 1936 में लगभग 100 बीघे जमीन में वृन्दावन आश्रम की स्थापना की. उनके प्रयासों से अनेक बुनियादी विद्यालय खोले गए. राजकीय बुनियादी विद्यालय वृन्दावन (कुमारबाग) को देश का प्रथम बुनियादी विद्यालय होने का गौरव प्राप्त है. इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1939 को हुई थी. इन्ही के प्रयासों से वहां शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय भी खुला.
गाँधी सेवा संघ का पांचवा अधिवेशन इन्हीं के प्रयासों से 2 से 9 मई तक वृन्दावन में आयोजित हुआ, जिसके मुख्य कर्ता-धर्ता वे स्वयं थे. इस अधिवेशन में गाँधी जी के अलावा काका कालेलकर, खान अब्दुल गफ्फार खां, राजेंद्र प्रसाद, विनोबा भावे, जे.बी.कृपलानी, सरदार पटेल, श्रीकृष्ण सिंह , जाकिर हुसैन, अनुग्रह नारायण सिंह इत्यादि भी पधारे थे.
9 अगस्त 1942 को भारत छोडो आन्दोलन के समय इन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया गया.  देश को आजादी मिलने के लगभग छः वर्षों के बाद 4 मई 1953 को इनका देहावसान हो गया. वस्तुतः देखा जाये तो चंपारण की धरती पर यहाँ के विकास के लिए उन्होंने जो कुछ भी योगदान किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. इसी कारण उन्हें आज "चंपारण का गाँधी" के उपनाम से भी पुकारा जाता है.  बेतिया के निकट इनके नाम पर प्रजापति नगर नाम का एक हाल्ट भी है. २ अक्तूबर को महात्मा गाँधी एवं लालबहादुर शास्त्री के साथ-साथ जिले  में प्रजापति मिश्र की भी जयंती मनाई जाती है.
  • मनोज कुमार

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