ओह शिक्षक के संबंध में नहीं जानता था, बहुत अच्छा लगा खासकर यह जानकर की वे एक ब्रहमण थे। इसलिए नहीं कि िकवे ब्रहमण थे इसलिए कि जो लोग समाज को संक्रिन्ता का दोषी मानतें है उनके लिए यह एक सबक है कि व्यक्ति दोषी होता है समाज नहीं । अच्दे बुरे लोग सभी समाज मंे होते है कहीं कम तो कहीं ज्यादा पर आज भी उसी संक्रीणता देखने को मिलती है हां मापदण्ड बदल गया है।
बहुत ही सार्थक और सकारात्मक पहल मनोज बाबू। ब्लॉगिंग को एक नया आयाम आप दे रहें है इसके लिए धन्यवाद।
ओह शिक्षक के संबंध में नहीं जानता था, बहुत अच्छा लगा खासकर यह जानकर की वे एक ब्रहमण थे। इसलिए नहीं कि िकवे ब्रहमण थे इसलिए कि जो लोग समाज को संक्रिन्ता का दोषी मानतें है उनके लिए यह एक सबक है कि व्यक्ति दोषी होता है समाज नहीं । अच्दे बुरे लोग सभी समाज मंे होते है कहीं कम तो कहीं ज्यादा पर आज भी उसी संक्रीणता देखने को मिलती है हां मापदण्ड बदल गया है।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और सकारात्मक पहल मनोज बाबू। ब्लॉगिंग को एक नया आयाम आप दे रहें है इसके लिए धन्यवाद।
Bahut Badhiya.......behtreen laga prastutikaran...
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमाँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें
तत्कालीन स्थिति-परिस्थिति का बखूबी चित्रण...
ReplyDelete