Tuesday, April 12, 2011

बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर (चित्रमाला भाग-3)


एक  संघर्षमय  जीवनगाथा  
अम्बेडकर जयंती ( १४ अप्रैल ) के उपलक्ष्य में विशेष-

31.



3 comments:

  1. बाबा साहेब के जीवन के कई पहलूओं को बारीकी से संजोया है आपने, यह आपकी निष्ठा और कर्मठता का परिचायक है। बाबा साहेब के चरित्र चित्रण को पढ़ते हुए मुझे मेरा जीवन याद आ गया। बात उन दिनों की है जब इंटर में पढ़ाई कर रहा था वहीं मेरा एक मित्र हुआ नाम था श्रीकांत, जात से चमार। उसने अपने दादा जी के निधन पर भोज खाने का न्योता दिया। मेरे गांव के बगल मे उसका गांव था। जाड़े के दिन थे और हम लोग तीन दोस्त उसके गांव गये भोज खाने के लिए। जब मैं उसके घर पहूंचा तो उस दलित टोले में किसी को भरोसा हीे नहीं हो रहा था कि मैं उस सब के साथ बैठ कर भोज खाउगां, पर मैंने ऐसा ही किया।

    इस प्रसंग को भी अपने छोटी सी लव स्टोरी में समेटूंगा।

    सचमुच असामनता समाज का सबसे बड़ा कोढ़ है।
    आपको सार्थक पहल के लिए साधुवाद।

    रामनवमी की हार्दीक शुभकामनाऐं।

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  2. arun ji ki bato se sahmat. insaan bada hota hai uski insaniyat badi hoti hai jati nahi. jaari rakhiye.

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