Wednesday, January 5, 2011

नचिकेता- नए साल में नया प्रोजेक्ट


 हमारे यहाँ हिंदी की पाठ्यपुस्तक में एक पाठ पढाई जाती है- नचिकेता. यह वर्ग आठ के पाठ्यक्रम में है. हमने भी अपने स्कूली दिनों में यह पाठ पढ़ा  था. मैंने इंटरनेट पर सर्च किया की कहीं इस पर बना हुआ कोई नाटक/फिल्म/विडियो इत्यादि मिल जाये तो पढ़ाने हेतु एक अतिरिक्त सहायक सामग्री मिल जाएगी. वैसे भी आजकल शिक्षा जगत में विविध दृश्य श्रव्य माध्यमों  / एनीमेशन इत्यादि के महत्व को देखते हुए इन साधनों का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है. मगर यह  सब शहरी क्षेत्र के बच्चों को जितनी सहजता और सुगमता से उपलब्ध है, ग्रामीण परिवेश के खास कर सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चों के लिए दुर्लभ ही है. 
इंटरनेट पर मुझे कुछ चित्र मिले. कठोपनिषद से ली हुई इस कहानी पर काफी व्याख्यान मिला. इससे कहानी को समझने में और मदद मिली. लेकिन मै फिल्म जैसा जो ढूँढना चाह रहा था, वह नहीं मिला. अलबत्ता संस्कृत में यम नचिकेता संवाद का रामलीला जैसा मन्चित किया हुआ एक छोटा सा विडिओ क्लिपिंग मिला. इन्ही सामग्री की सहायता से बच्चों के बीच पाठ को रखने  का प्रयास किया. यह बात जाहिर है की पाठ्य-पुस्तक के अलावा कोई नयी और अतिरिक्त रोचक सामग्री देखकर बच्चों का उत्साह दूना हो जाता है. मैंने बच्चों  में कहानी के प्रति एक उत्साह देखा. चर्चा हुई तो इस कहानी पर नाटक खेलने का फैसला किया गया. मुझे लगा की इस पर एक लघु फिल्म बनायीं जा सकती है. अगर इस पर काम किया जाये तो बच्चों के लिए एक स्थायी पठन सामग्री हो जाएगी सो अलग. जो बार-बार काम भी आएगी. इस आइडिया को शेयर करने भर की देरी थी की सब तैयार हो गए. अन्य शिक्षकों ने भी इस विचार को समर्थन दिया.  
नचिकेता की भूमिका में सत्यम कुमार
वाजश्रवा एवं नचिकेता संवाद 
बस इसके बाद काम शुरू हो गया. स्कूल के छात्र ही  कहानी के विभिन्न पात्र  बन गए. स्थानीय दुकान से वेश- भूषा हेतु कुछ सामग्री खरीदी गयी. सीमित  साधनों के बीच खाली समय में शूटिंग का शुभारम्भ किया गया.  दीप जलाकर इसका उद्घाटन करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉक्टर रामप्रताप सिंह (जब मैं इस विद्यालय में चौथी कक्षा का छात्र था, ये हमारे सबसे प्रिय वर्ग शिक्षक हुआ करते थे. एक बार इनके हस्ताक्षर के  नक़ल के जुर्म में मैं इनके हाथों पीट भी चूका हूँ.) ने अपने उद्बोधन में कहा-"हम अपने कोर्स की किताबों में जो चीज पढ़ते हैं, वह उतनी रुचिकर नहीं लगती. लेकिन जब उसे ही टीवी या फिल्म जैसे अन्य माध्यमों के द्वारा देखते हैं तो ज्यादा मनोरंजक लगती है. नचिकेता कहानी का फिल्मांकन विद्यालय स्तर पर किया जा रहा है. देखते हैं इसमें कितनी सफलता मिलती है."  


यमराज की भूमिका में रौनक कुमार


नचिकेता और यमराज 
शूटिंग के दौरान हंसी-ठिठोली 
मनोज कुमार 
दंनिक जागरण में प्रकाशित एक खबर 

4 comments:

  1. बधाई हो । साथ ही साथ नव वर्ष की शुभकामनाएं ।

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  2. नव वर्ष की शुभकामनाएं ।

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  3. दृश्य श्रव्य माध्यमों का आज कल अधिक महत्व बढ़ गया है.छात्र इनमें अधिक रूचि लेते हैं.आप ने बहुत ही सार्थक पहल की है.बधाई!

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  4. where is the video have you shared it, I would like to get the link.
    prajesh.madhavi@aol.in

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